ज़िन्दगी है वही जो चलती है...
कुछ पानी सा ये बहती है,
ये गिरके ही संभालती है...
सुन ज़रा, कुछ कहती है,
हर दर्द ये चुपके सहती है,
फिर भी चलती रहती है...
कबि अँधेरे मैं बिखरती है...
तो सुबह मैं कभी खिलती है..
है तलाश इसे मंज़िल की....
गिन के मौसम ये बरसती है...
रोक न खुद को तू...
तूफ़ान मैं फाँसी कश्ती भी ये कहती है...
के ज़िन्दगी है वही जो चलती रहती है...
मौसम कई आते है...
बरात नयी लाते हैं..
भीगा कर उसमे ये धो देती है....
ज़िन्दगी है वही जो चलती रहती है....
शायद ये जान कर हमें गम देती है..
की संभल जाये हम,
धीरे से इशारो मैं कहती है...
कभी हालातों से मिलकर,
रूप नया रख लेती है...
तो कभी कुछ कर के,
खुश हमें कर देती है...
हर मोड़ पर ये,
इम्तेहान तो लेती है...
हाँ ये ज़िन्दगी,
ये ज़िन्दगी कुछ कहती है...